सिल्कस्क्रीन
सिल्कस्क्रीन एक बहुमुखी मुद्रण विधि है जिसने वाणिज्यिक मुद्रण उद्योग में क्रांति ला दी है। इस तकनीक में स्थिर पर एक जाल छेद के माध्यम से स्याही को धकेला जाता है, जिससे विभिन्न सामग्रियों पर सटीक और टिकाऊ मुद्रण बनता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत एक महीन जाल वाली स्क्रीन से होती है, जो आमतौर पर सिंथेटिक सामग्री या रेशम से बनी होती है और जिसे एक फ्रेम पर तनाकर तय किया जाता है। इस जाल को एक प्रकाश-संवेदनशील इमल्शन से लेपित किया जाता है और फिर एक फिल्म पॉजिटिव के माध्यम से पराबैंगनी प्रकाश में उजागर किया जाता है, जिससे एक स्टेंसिल बनता है। प्रकाश के संपर्क में आने वाले क्षेत्र कठोर हो जाते हैं, जबकि अनावृत क्षेत्र धोकर हट जाते हैं, जिससे मुद्रण क्षेत्र बनते हैं। फिर स्क्रैपर का उपयोग करके स्याही को इन खुले क्षेत्रों के माध्यम से धकेला जाता है, जिससे डिज़ाइन मुद्रण सतह पर स्थानांतरित हो जाता है। आधुनिक सिल्कस्क्रीन तकनीक का विकास स्वचालित प्रणालियों, सटीक पंजीकरण नियंत्रण और उन्नत स्याही सूत्रों को शामिल करने तक हुआ है, जिससे इसे छोटे पैमाने की कलात्मक परियोजनाओं और बड़े पैमाने के औद्योगिक अनुप्रयोगों दोनों के लिए उपयुक्त बना दिया गया है। यह तकनीक चमकीले रंग, मोटी स्याही की परतों और कपड़े, कागज, प्लास्टिक, धातु और कांच सहित विभिन्न सामग्रियों पर सुसंगत परिणाम उत्पन्न करने में उत्कृष्ट है। इस बहुमुखी प्रकृति के साथ-साथ बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए इसकी लागत प्रभावशीलता ने सिल्कस्क्रीन मुद्रण को टेक्सटाइल निर्माण से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन तक के उद्योगों में एक आवश्यक उपकरण बना दिया है।